संयुक्त संचालक के आदेशों की भी कर डाली अवहेलना! नीमच। अक्सर सुर्खियों में रहने वाले, कई बरसों से अंगद के समान पैर जमाकर बैठे एक नही दो-दो नगर परिषद जावद व अठाना के दबंग व रसूखदार सीएमओं (मुख्य नगरपरिषद अधिकारी) जगजीवनराम शर्मा सूचना के अधिकार की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे है। रसुखदारी अहंकार में मदहोश नगर परिषद के मुख्य अधिकारी जगजीवनराम शर्मा ने सारे नियम धर्म ताक में रख कर आवेदक को विगत 5 माह बीतने के बाद भी जानकारियां नही दी जाकर आवेदक को गुमराह करते हुए चक्कर पे चक्कर लगवा रहे है। यहां तक कि आवेदक ने अपीलीय अधिकारी व संयुक्त संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास उज्जैन के आदेशों को भी अनदेखा कर अवहेलना करते हुए हवा में उड़ा दिए। ज्ञातव्य है कि नीमच निवासी आवेदक ने भृष्टाचारी की भेंट चढ़े जावद व अठाना नगर पंचायत से 26 फरवरी 19 को सूचना का अधिकार के तहत जानकारियां चाही गई थी नियमानुसार समयावधि समाप्ति के पश्चात भी आवेदक को जानकारियां अप्राप्त होने पर 23 अप्रैल 19 अपीलीय अधिकारी व संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन व विकास उज्जैन को प्रथम अपील की गई जिसकी सुनवाई 6 जून 19 निश्चित की गई किन्तु आश्चर्य तो तब हुआ कि रसूखदार दबंग सीएमओं 6 जून को उज्जैन सुनवाई में भी नही पहुचें। सुनवाई के दौरान अपीलीय अधिकारी द्वारा आवेदक का पक्ष सुनने के उपरान्त 14 जून को जावद व अठाना नगर परिषद के सीएमओं को सात दिवस में आवेदक को जानकारियां देने का आदेश का आदेश जारी किया गया। लेकिन भृष्टाचारी में शुमार जावद नगर परिषद के रसूख दार व दबंग सीएमओं भाजपा ने अपीलीय अधिकारी व संयुक्त संचालक के आदेशों की धज्जियां हवा में उड़ाते हुए आवेदक को जानकारियां नही दी। समर्थित विधायक के खास चहेते माने जाते है। इन्ही के दम पर सीएमओं जगजीवनराम शर्मा एक नही दो-दो नगर परिषदों (जावद व अठाना) में वर्षो से अंगद के समान अपने पैर जमाकर बैठे है। ऐसा नही है कि इनके स्थानांतरण नही हुए। शासन स्तर पर सीएमओं शर्मा के दोनों परिषदों से दो बार स्थानांतरण भी हो चुके है इनके स्थान पर दोनों परिषदों में महिला सीएमओं ने चार्ज भी लिया किन्तु इन्होंने अपनी दबंगाई पूर्वक दोनों सीएमओं को 15 दिन दिन में रवाना करने का चैलेंच दे दिया और जोड़ तोड़ बिठाकर पुनः दोनों ही नगर परिषद में आसींद हो गये। आवेदक ने राज्य सूचना आयोग में जाने के पूर्व मंगल वार को जनसुनवाई में आवेदन देकर जानकारी दिलाइ जाने हेतु आवेदन दिया है। यदि निश्चित समय सीमा में जानकारी नही प्राप्त होने की स्थिति में आवेदक को राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। अब देखना यह है कि जनसुनवाई में दिए गए आवेदन ओर जिलाधीश महोदय जानकारियां उपलब्ध करवाने में कहां तक सफल हो पाते है या आवेदक को राज्य सूचना आयोग के समक्ष जाने को मजबूर होना पड़ेगा।
सूचना के अधिकार की धज्जियां उड़ा रहा जावद व अठाना सीएमओ!
