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जानिए उन पांच वस्तुओं के बारे में जिनको श्रीकृष्ण रखते थे हमेशा अपने साथ।

योगेश्वर श्रीकृष्ण ने रणभूमी के बीच से श्रीमदभागवत का संदेश देकर जगत कल्याण किया। श्रीकृष्ण का जीवन चरित्र कई रहस्यों की परतों में लिपटा हुआ है। उनका जीवन हमेशा एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते हुए ज्यादा बीता। अति व्यस्त जिंदगी होने पर भी उनको कुछ वस्तुएं अतिप्रिय थी, जिसमें बांसुरी से लेकर पीतांबर शामिल है। इनमें भी पांच वस्तुओं से उनको खास लगाव था। मोरपंख भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय वस्तुओं में से एक मोरपंख है। मोरपंख को श्रीकृष्ण को उनके धर्मपिता ने दिया था। योगेश्वर अपने मुकुट और बांसुरी में मोर मुकुट सजाकर रखते थे। मोरपंख को इसलिए घरों में रखना भी काफी शुभ माना जाता है। मक्खन श्रीकृष्ण को माखनचोर कहा जाता है। मान्यता है कि उनको मक्खन इतना प्रिय था कि वो ब्रजवासियों के घरों से चुराकर उसको खा जाते थे। गाय के दूध से बना मक्खन उनकी दिनचर्या का अहम हिस्सा था। जब श्रीकृष्ण गायों को चराने के लिए वन में जाते थे तब भी ताजा बना मक्खन वो साथ में लेकर जाते थे। पीतांबर यशोदानंदन के प्रिय वस्त्रों में पीतांबर प्रमुख है। पीला रंग उनको प्रिय था, इसलिए वह हमेशा पीले वस्त्रों को धारण करते थे। पीतांबर उनकी प्रमुख पहचान में से एक था। इसलिए श्रीकृष्ण को उनके भक्त पूजा में पीली वस्तुओं को समर्पित करते हैं। बांसुरी श्रीकृष्ण के अधरों पर सुशोभित बांसुरी उनको अतिप्रिय थी। मान्यता है कि जब वे अपनी बांसुरी की तान छेड़ते थे तो जीव.जन्तु मंत्रमुग्ध हो जाते थे और नाचने लगते थे। उनकी बांसुरी के राग को सुनकर गायें उनके आसपास एकत्रित हो जाती थी और गोप-गोपियां सब कुछ भूलकर सिर्फ श्रीकृष्ण की बांसुरी के माधुर्य में सुध-बुध खो बैठते थे। गाय गायें श्रीकृष्ण के लिए किसी सखा से कम नहीं थी। द्वारकानंदन जितना गायों को प्रेम करते थे गायें भी उनको उतना ही चाहती थी। गौधन श्रीकृष्ण की जिंदगी का अहम हिस्सा थी और बाल्यकाल का उनका अधिकतम समय गायों को चराने और उनकी सेवा में बीता था इसलिए श्रीकृष्ण भक्त गाय की सेवा को परमधर्म मानते हैं।

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