एनसीएम अध्यक्ष रिजवी ने कहा,'अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका मुस्लिम हित में नहीं ' राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ने अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका पर कहा कि यह मुस्लिम हित में नहीं है। नई दिल्ली। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) के अध्यक्ष गयूरुल हसन रिजवी ने कहा है कि अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला मुस्लिमों के हित में नहीं है और इससे हिंदू-मुस्लिम एकता को 'नुकसान" होगा। एक समाचार एजेंसी को रविवार को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि पुनर्विचार याचिका से हिंदुओं में यह गलत संदेश जाएगा कि वे (मुसलमान) मंदिर निर्माण की राह में बाधा खड़ी कर रहे हैं। उन्होंने मुस्लिमों से मस्जिद के लिए पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन स्वीकारने की भी अपील करते हुए कहा कि ऐसा करना न्यायपालिका का सम्मान होगा। रिजवी ने कहा कि अयोध्या मामले में फैसला आने के बाद एनसीएम ने एक बैठक की थी, जिसमें सभी सदस्यों ने एक स्वर में कहा था कि फैसले को स्वीकार किया जाना चाहिए। मंदिर-मस्जिद निर्माण में करें आपसी सहयोग उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को अयोध्या में मंदिर निर्माण में तथा हिंदुओं को मस्जिद निर्माण में सहयोग करना चाहिए। ऐसा करना दोनों समुदायों के बीच सामाजिक सौहार्द को मजबूत करने की दिशा में एक मील का पत्थर होगा। पुनर्विचार याचिका न हो दाखिल रिजवी ने कहा कि पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तथा जमीयत उलेमा- ए-हिंद समेत सभी पक्षों ने वादा किया था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तथा जमीयत अपनी बातों से मुकर रहे हैं। उन्होंने कहा- 'अभी नहीं, बल्कि वर्षों से वे कहते आ रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार करेंगे, तो पुनर्विचार की क्या जरूरत है?" उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई कि जब मुस्लिम संस्थाएं भी कह रही हैं कि पुनर्विचार याचिका सौ फीसदी खारिज हो जाएगी तो फिर याचिका दाखिल करने का तुक क्या है? आम मुसलमान नहीं है याचिका पक्ष में एनसीएम अध्यक्ष ने कहा कि देश का आम मुसलमान पुनर्विचार याचिका के पक्ष में नहीं है, क्योंकि वे नहीं चाहते कि जो मसला निपट गया है उसे फिर से उठाया जाए और समुदाय उन बातों पड़े। इसलिए सवाल यह है कि आप याचिका किसके लिए दाखिल कर रहे हैं? क्या आप समुदायों के बीच भाईचारा को नुकसान पहुंचाने के लिए याचिका दाखिल कर रहे हैं? या, निजी संतुष्टि के के लिए ऐसा कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तथा असदुद्दीन ओवैसी समेत सिर्फ चार-पांच सदस्य ही पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के पक्ष में हैं। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि ओवैसी मुस्लिमों का इस्तेमाल कर राजनीति कर रहे हैं और ऐसे मुद्दों पर वोट पाना चाहते हैं। रिजवी ने कहा कि नेताओं को ऐसे सभी लोगों की अनदेखी करनी चाहिए, क्योंकि मुस्लिमों के कई और मुद्दे हैं और उसके लिए काम किया जाना चाहिए। पुनर्विचार याचिका मुस्लिमों के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि एनसीएम चेयरमैन होने के नाते मुसलमान रोज ही उनसे मिलते हैं और उनका कहना है कि पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की जानी चाहिए।
एनसीएम अध्यक्ष रिजवी ने कहा,'अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका मुस्लिम हित में नहीं '
