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निर्भया के दोषियों को 1 हफ्ते में इस्तेमाल करने होंगे सभी कानूनी अधिकार, अगली सुनवाई 7 जनवरी 2020 को

निर्भया केस में दोषियों को पटियाला हाउस कोर्ट ने अपने सभी कानूनी अधिकार जैसे दया याचिका या क्युरेटिव पीटिशन, इस्तेमाल करने के लिए 1 हफ्ते का समय दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 7 जनवरी 2020 की तारीख तय की है। यह याचिका निर्भया की मां ने दायर की थी। उनकी मांग थी कि दोषी दया याचिका या रिव्यू पीटिशन की प्रोसेस करते रहें, लेकिन उनके खिलाफ डेथ वारंट तो जारी किया ही जा सकता है। इससे पहले अक्षय कुमार सिंह उर्फ अक्षय ठाकुर की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। 18 December 2019 निर्भया का परिवार चाहता था कि आज ही डेथ वारंट जारी कर दिया जाए दोषियों के वकील का कहना था कि कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाए। हड़बड़ी में डेथ वारंट जारी न हो। दोषी विनय की ओर से कहा गया है कि वह दया याचिका दायर करना चाहता है। पटिलाया हाउस कोर्ट ने तिहाड़ जेल को आदेश दिया है कि वो चारों दोषियों को दया याचिका या क्यूरेटिव पीटिशन के लिए नया नोटिस जारी करे और एक हफ्ते का समय दे। निर्भया के दोषियों के खिलाफ आज डेथ वारंट जारी नहीं हो सका। पटियाल हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों को एक हफ्ते का समय दिया है। इस दौरान वे अपने सभी कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल कर लें। अगली सुनवाई 7 जनवरी 2020 को होगी। निर्भया के दोषियों में से एक मुकेश के वकील ने कहा है कि वह दया याचिका दायर नहीं करेगा। दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि तिहाड़ जेल प्रशासन पूरे मामले में गलतफहमी पैदा कर रहा है। दोषियों में से एक विनय के वकील ने कह है कि वह दया याचिका दाखिल करेगा। इसके लिए 14 दिन का समय मांगा जा रहा है। निर्भया के परिवार के वकील कहना है कि दोषियों के पास जो कानूनी विकल्प हैं, वे आजमाते रहें, लेकिन डेथ वारंट तो जारी हो जाना चाहिए। अक्षय कुमार के वकील का कहना है कि उन्हें दया याचिका के लिए 1 हफ्ते का समय मिलना चाहिए। जज का कहना है कि न्याय के सिद्धांत का पालन करेंगे। दोषियों के पास जो विकल्प हैं, उनका पालन हो अक्षय कुमार सिंह के वकील का कहना है कि जेल मैन्युअल का पालन होना चाहिए। हड़बड़ी में डेथ वारंट जारी नहीं होना चाहिए। क्या होता है डेथ वारंट: डेथ वारंट में कोर्ट की ओर से संबंधित जेल (इस केस में तिहाड़ जेल) को आदेश दिया जाता है और फांसी की तारीख बताई होती है। साथ ही कोर्ट भी समय तय करता है। जज ने कहा, एक साल से मेरे पास कोई नहीं आया है। अब तक दोषियों की ओर से कोई नहीं पहुंचा है। 1 साल से केस लंबित है और किसी ने दया याचिका दायर नहीं की है। जज का कहना है कि मेरे ख्याल से डेथ वारंट जारी कर दिया जाना चाहिए। याकुब के केस का उदाहरण दिया गया, जब दया याचिका लंबित थी, फिर भी निचली अदालत ने डेथ वारंट जारी कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भया की मां ने खुशी जाहिर की है और कहा है कि पटियाला हाउस कोर्ट में दोषियों की याचिका खारिज होगी और उन्हें फांसी की सजा मिलेगी। अक्षय के वकील वो ही दलीलें दे रहे हैं, जो पिछले 7 साल में दिए जा चुके हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि कोई नया फैक्ट लाया जाए। सामाजिक सेवा से जुड़ी एक संस्था ने तिहाड़ जेल प्रशासन को पत्र लिखकर निर्भया के दोषियों से मिलने की इच्छा जताई है, ताकि दोषियों को अंगदान के लिए प्रेरित कर सके। संस्था का मानना है कि दोषियों की ओर से किए गए कृत्य की सजा उन्हें मिलनी चाहिए, लेकिन उनके पास कुछ अच्छा करने का अंतिम मौका है। दोषी अंगदान कर कई जरूरतमंदों की मदद कर सकते हैं। रोड एंटी करप्शन ऑर्गनाइजेशन संस्था के प्रमुख राहुल शर्मा का कहना है कि उन्होंने अपने संस्था के लोगों से विचार-विमर्श कर यह पहल की है। अगर तिहाड़ प्रशासन की ओर से उन्हें मिलने की अनुमति नहीं मिलती है, तो वह न्यायालय से गुहार लगाएंगे। अक्षय कुमार सिंह की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होना थी, लेकिन ऐनवक्त पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने खुद को अलग कर लिया था। दरअसल, जस्टिस बोबड़े ने कहा कि उनका एक रिश्तेदार पूर्व में इस केस में पीड़िता की मां की ओर से पेश हो चुका है। इसलिए उचित होगा कि कोई दूसरी पीठ इस पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करे।

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