नीमच 12 मई (केबीसी न्यूज)। पत्रकारिता की सेवा एक साहसिक कठिन कार्य है। कितनी ही विषम परिस्थितियों में भी वे अपने कर्तव्य स्थल पर पहुंचते हैं और अपनी जान जोखिम में डालकर निःस्वार्थ भाव से समाज में छुपी बुराईयों को दूर करने और समाज को सही दिषा देने का कार्य करते हैं तथा सम्पूर्ण विष्व की हजारों किलोमीटर की दूरियों को मिटाकर देषवासियों के समक्ष घटनाक्रम की तथ्यात्मक प्रमाणिक जानकारी प्रस्तुत करते हैं। कोरोना जैसी महामारी के संक्रमण काल की विषम परिस्थितियों में भी पत्रकार लगातार कार्य कर रहे हैं, लेकिन जिस प्रकार सरकार एवं प्रषासन, स्वास्थ्य, पुलिस के कर्मचारियों को प्रोत्साहन देने की योजनाएं बनती हैं, ठीक उसी प्रकार पत्रकार को प्रोत्साहन देने की योजना आज तक नहीं बनी है। ग्राम, तहसील, जिला, संभाग, प्रदेष व देष के राष्ट्रीय स्तर तक भी पत्रकारों के कल्याण के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनती है। यह बात राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा भारत के प्रदेष महासचिव योगीराज रंजन स्वामी ने मध्यप्रदेष षासन के मुख्यमंत्री के नाम प्रेस को जारी खुला पत्र में कही। उन्होंने कहा कि पुलिस स्वास्थ्य प्रषासन के अधिकारियों को सदैव सम्मान निधि उपरोक्त हर स्तर पर मिलती है लेकिन श्रमजीवी मेहनती पत्रकारों को ये प्रोत्साहन निधि अधिकतर नहीं मिलती है, मिलती भी है तो 100 में प्रत्येक जिला स्तर पर मात्र एक या दो की संख्या में ही होती है। म.प्र.के मुख्यमंत्री षिवराजसिंह चैहान ने अभिभाषकों को सहायता निधि देने की घोषणा की है। जो कि संविधान के रक्षकों का सम्मान है और होना भी चाहिए। मोर्चा इसका विरोध नहीं करता है क्योंकि न्यायालय हर आपात स्थिति में भी चलते हैं लेकिन कोरोना महामारी में प्रतिदिन अपडेट तथा त्वरित फोटो एवं जानकारी संग्रहित करने वाले पत्रकार को योद्धा का दर्जा हांसिल नहीं होता है क्योंकि सरकारी प्रसार प्रचार तंत्र में भी केवल पुलिस, स्वास्थ्य एवं प्रषासन के सम्मान के समाचारों का प्रसारण होता है उसमें पत्रकार पर मीडिया षब्द का कहीं कोई उल्लेख नहीं हो रहा है। कोरोना महामारी के प्रषासन द्वारा तैयार हर प्रचार प्रसार सामग्री में पुलिस एवं स्वास्थ्य प्रषासन द्वारा तैयार हर प्रचार प्रसार सामग्री में पुलिस एवं स्वास्थ्य प्रषासन के कर्मचारियों को ही सहयोग का आव्हान किया जाता है। षायद करने वालों को पत्रकारों की जानकारी नहीं दी जाती है। यहां पत्रकारों का उल्लेख करने से ही अप्रत्यक्ष रूप से मना किया जाता हो खैर जो भी हो पत्रकारों के कठिन साहस का सरकार उचित सम्मान करे। कोरोनना वायरस संक्रमण के दौरान समाचार पत्रों तथा सेवारत श्रमजीवी पत्रकारों एवं कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति पर गहन प्रभाव पडा है। एक तरफ सरकारी विज्ञापन नहीं के बराबर मिल रहे हैं वही समाचार पत्रों के प्रसार बिलों का भुगतान भी पाठकों से संभव नहीं हो पा रहा है। निजी एवं अन्य व्यवसायिक विज्ञापन भी लाॅकडाउन की स्थिति में बहुत कम मिल रहे हैं या नहीं के बराबर मध्यप्रदेष सरकार त्वरित कदम उठाकर समाचार पत्रों एवं पत्रकारों की आर्थिक हालात सुधारने की योजना बनाने पर विचार करें। लम्बित बिलों के भुगतान करने सम्बंधी निर्देष जारी करें। ताकि नियमित रूप से विज्ञापन जारी हो सके। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए प्रिन्ट मीडिया भी अन्य मीडिया की तरह सबसे प्रभावी तरीके से जनता और सरकार को सहयोग कर रहा है। आम जनता में इसकी विष्वसनीयता भी इस दौरान बढी है। आषा है कठिन समय में पत्रकारों एवं समाचार पत्रों के कल्याण के लिए कोई अभिनव सहायक योजना लागू होगी। ---------------------------------------
पत्रकारों के कठिन साहस का सरकार उचित सम्मान करे - रंजन स्वामी
