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योगिनी एकादशी का महत्व।

नईदुनिया वेबसाइट@पूरे वर्ष कुल मिलाकर 24 एकादशियां होती हैं, लेकिन मलमास होने पर एकादिशयों की संख्या 26 हो जाती है। एकादशी का व्रत रखने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। जिसमें योगिनी एकादशी का विशेष महत्व होता है। आषाढ़ के कृष्णपक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। इस बार 9 जुलाई, सोमवार को यह एकादशी है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा-आराधना की जाती है। मान्यता है योगिनी एकादशी पर व्रत रखने वाले व्यक्ति को 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बराबर का पुण्य-लाभ मिलता है। योगिनी एकादशी का व्रत करने वालों को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। इस दिन निराजल व्रत ही करें, फलाहार व्रत रखना श्रेयष्कर है। एकादशी को जल और अन्न का दान बहुत फलदायी होता है। व्रत कथा स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह शिव भक्त था और प्रतिदिन शिव की पूजा किया करता था। हेम नाम का एक माली पूजन के लिए उसके यहां फूल लाया करता था। हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन कामासक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद तथा रमण करने लगा। इधर राजा उसकी दोपहर तक राह देखता रहा। अंत में राजा कुबेर ने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर माली के न आने का कारण पता करो, क्योंकि वह अभी तक पुष्प लेकर नहीं आया। सेवकों ने कहा कि महाराज वह अपनी स्त्री के साथ हास्य-विनोद और रमण कर रहा है। यह सुनकर कुबेर ने क्रोधित होकर हेम माली को बुलाया। राजा के भय से कांपता हुआ ‍हेम माली जब उपस्थित हुआ, तो राजा कुबेर ने क्रोध में आकर कहा- अरे पापी, तूने मेरे परम पूजनीय ईश्वरों के ईश्वर श्री शिवजी महाराज का अनादर किया है। इस‍लिए मैं तुझे शाप देता हूं कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा। कुबेर के शाप से हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी क्षण पृथ्वी पर गिर गया। भूतल पर आते ही उसके शरीर में श्वेत कोढ़ हो गया। उसकी स्त्री भी उसी समय अंतर्ध्यान हो गई। मृत्युलोक में आकर माली ने महान दुख भोगे, भयानक जंगल में जाकर बिना अन्न और जल के भटकता रहा। उसे देखकर मार्कण्डेय ऋषि बोले तुमने ऐसा कौन-सा पाप किया है, जिसके प्रभाव से यह हालत हो गई। हेम माली ने सारा वृत्तांत कह ‍सुनाया। यह सुनकर ऋषि बोले- निश्चित ही तूने मेरे सम्मुख सत्य वचन कहे हैं, इसलिए तेरे उद्धार के लिए मैं एक व्रत बताता हूं। यदि तू आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेगा तो तेरे सब पाप नष्ट हो जाएंगे। माली ने मुनि के कथनानुसार विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से अपने पुराने स्वरूप में आकर वह अपनी स्त्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगा। योगिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि शास्त्रों के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत की शुरुआत दशमी तिथि की रात से हो हो जाता है। फिर अगली सुबह उठकर नित्यक्रम करने के बाद स्नान करके व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की मूर्ति रखकर उन्हें स्नान कराकर भोग लगाएं। फिर इसके बाद फूल, धूप और दीपक से आरती उतारें। इसके बाद योगिनी एकादशी की कथा सुनें। इसके अलावा इस एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से सभी तरह के पाप नष्ट होते हैं।

मालवांचल

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