नवरात्रि के दौरान जप, तप, साधना और हवन का बड़ा महत्व है। हवन को ज्यादातर घरों, मंदिरों और साधनास्थलों में पूर्णाहूति के रूप में लिया जाता है। पहले दिन देवी स्थापना के साथ नवरात्र पर्व का प्रारंभ होता है और हवन के साथ इस पर्व का समापन हो जाता है। हवन को वातावरण की शुद्धि का बेहतर साधन माना गया है। अनादिकाल से ऋषि-मुनि हवन और मंत्रोच्चार से देव आराधना करते आ रहे हैं। नवरात्रि और कुछ विशेष पर्वों पर हवन का महत्व कई गुना बड़ जाता है। हवन के संबंध में वेद-पुराणों में काफी कुछ कहा गया है और विज्ञान भी हवन के शास्त्रसम्मत स्वरूप की पुष्टि करता है। सनातन संस्कृति के शास्त्रों में कहा गया है कि हवन करने से वातावरण की शुद्धि होती है और हानिकारक जीवाणुओं का नाश होता है साथ ही आसपास के माहौल की नेगेटिविटी समाप्त होती है। वैज्ञानिकों की रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए हवन बेहद जरूरी है। हवन के धुएँ से प्राण में संजीवनी शक्ति का संचार होता है।
नवरात्र में हवन करने से मिलते यह फायदे। हवन करने से वातावरण की शुद्धि के साथ सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है।
