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जस्टिस शरद बोबडे ने एक वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और इसके बाद आज चीफ जस्टिस की कुर्सी पर बैठेंगे।

नई दिल्ली। जस्टिस शरद अरविंद बोबडे आज देश के अगले चीफ जस्टिस के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं। पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायरमेंट से पहले उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें देश का अगला चीफ जस्टिस नियुक्त किया था और इसके बाद आज उन्हें शपथ ग्रहण करवाई जाएगी। जस्टिस बोबडे भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में जस्टिस बोबडे ने कई अहम मामलों की सुनवाई की जिसमें अयोध्या राम जन्मभूमि मामला भी शामिल रहे। ऐसा रहा है एक वकील से चीफ जस्टिस तक का सफर जस्टिस शरद अरविंद बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। नागपुर विश्वविद्यालय से बीए एलएलबी की डिग्री लेने के बाद 1978 में वह महाराष्ट्र बार काउंसिल में अधिवक्ता के तौर पर पंजीकृत हुए और उन्होंने बांबे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के सामने वकालत शुरू की। जस्टिस बोबडे ने नागपुर पीठ के अलावा बांबे हाई कोर्ट की मुख्य पीठ और सुप्रीम कोर्ट में भी 21 साल से ज्यादा समय तक वकालत की। 1998 में वह वरिष्ठ वकील बनाए गए। संवैधानिक, प्रशासनिक, कंपनी, पर्यावरण और चुनाव कानून में उनको महारत हासिल है। जस्टिस बोबडे 29 मार्च 2000 को बांबे हाई कोर्ट मे एडिशनल न्यायाधीश नियुक्त किए गए और 28 मार्च 2002 को यहां पर स्थाई न्यायाधीश बनाए गए। 16 अक्टूबर 2012 को जस्टिस बोबडे ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार संभाला और 12 अप्रैल 2013 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए। जस्टिस बोबडे मुख्य न्यायाधीश के पद से 23 अप्रैल 2021 को सेवानिवृत होंगे। उनका मुख्य न्यायाधीश के तौर पर कार्यकाल एक साल और पांच महीने का होगा। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहते हुए जस्टिस बोबडे ने कई अहम फैसले दिए जिसमें निजता का अधिकार मौलिक अधिकार घोषित करने का फैसला, आधार न होने के कारण किसी भी नागरिक सरकारी सेवाओं के लाभ और मूलभूत सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकता तथा प्रदूषण के चलते 2016 में दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने का फैसला शामिल है।

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