मंडला । मंडला जिले के रामनगर में शनिवार को उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव का शुभारंभ किया। लोकनायकों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि आदिवासी महोत्सव की रचनात्मक परंपरा रामनगर में 2015 में शुरू की गई। आदिवासी संस्कृति को कायम रखना और जनजातियों का विकास करना हमारा कर्तव्य है। साथ ही यह हमारा संवैधानिक दायित्व भी है। आदिवासियों से हमें प्रकृति के साथ जीवनयापन करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारतवर्ष में अब तक करीब 250 भाषाएं विलुप्त हो गई हैं, जिनमें अधिकांश भाषा जनजातीय हैं। जीवन में हिंसा करने से कुछ नहीं होता। हिंसा को छोड़कर लोकतंत्र में विश्वास कर हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए। विकास के लिए शांति जरूरी है। सरकार माओवाद को रोकने में सफल रही है। प्रकृति के अंधाधुंध दोहन को लेकर जनजातीय समुदाय चिंतित है। विदेशी मानसिकता को छोड़ें उन्होंने कहा कि हमें विदेशी मानसिकता को छोड़कर अपनी मातृभाषा पर ध्यान देना चाहिए। इसे कभी न छोड़ें। उप राष्ट्रपति ने जनजाति समुदाय को बच्चों को पढ़ाने का आग्रह किया और कहा कि यदि बेटी पढ़ गई तो एक पूरा परिवार पढ़ जाता है। आदिवासी संस्कृति को जीवित रखने के लिए केवल सरकारी प्रयास ही काफी नहीं हैं बल्कि इसमें समाज का भी योगदान होना चाहिए। हमें अपने जीवन में जन्म देने वाली मां, जन्मभूमि, मातृभाषा और देश को कभी नहीं भूलना चाहिए। जनजातीय वर्ग ही समाज का वह वर्ग है, जो प्रकृति को माता के रूप में पूजता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि गौंड साम्राज्य की यह ऐतिहासिक धरती जनजातियों की भाषा, संस्कृति और जीवन पद्धति को संजोकर रखने व उनके आर्थिक विकास में भागीदार बनेगी। शहीद राजाओं को दी श्रद्धांजलि कार्यक्रम के पूर्व उप राष्ट्रपति ने गोंडवाना साम्राज्य के शहीद राजाओं को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने जनजातीय नर्तक दल से मुलाकात की व जनसमुदाय का अभिवादन किया। इस अवसर पर केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, केंद्रीय पर्यटन व संस्कृति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल, केंद्रीय जनजातीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह, राज्यसभा सदस्य संपतिया उईके आदि उपस्थित रहे।
मातृभाषा पर ध्यान दो, देश में लुप्त हो चुकी है 250 से ज्यादा भाषाएं : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू
