हांगकांग। हांगकांग ने पूरी तरह लॉकडाउन किए बगैर संक्रमण को काबू करने में सफलता प्राप्त की है। टेस्टिंग की संख्या बढ़ाने, कांटैक्ट ट्रेसिंग करने और लोगों के व्यवहार में परिवर्तन से यह मुमकिन हो पाया है। स्वास्थ्य से संबंधित प्रतिष्ठित पत्रिका 'द लैंसेट पब्लिक हेल्थ' में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि इस तरह के उपाय सख्त लॉकडाउन की तुलना में समाज और अर्थव्यवस्था को कम नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन कोरोना के प्रकोप को नियंत्रित करने में पूरी तरह प्रभावी हैं। शोध के प्रमुख लेखक और हांगकांग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बेंजामिन काउलिंग के मुताबिक स्वास्थ्य के उम्दा उपायों को शुरुआत में ही लागू करके हांगकांग ने दिखा दिया कि संक्रमण को प्रभावी तरीके से रोका जा सकता है और इसके लिए चीन, अमेरिका और पश्चिमी यूरोपीय देशों द्वारा लगाए गए सख्त लॉकडाउन का सहारा भी नहीं लेना पड़ेगा। रिसर्च से पता चलता है कि 31 मार्च तक कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए शहर के अधिकारियों ने दूसरे देशों की तुलना में बहुत सख्त कदम नहीं उठाए। चीन से आने वालों पर रखी निगरानी चीन से आने वाले यात्रियों से कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जनवरी के अंत में ही कड़ी निगरानी शुरू कर दी गई थी। मार्च की शुरुआत से बड़े पैमाने पर टेस्टिंग को शुरू कर दिया गया था। कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोगों को संक्रमित होने से दो दिन पहले ही जहां क्वारंटाइन कर दिया गया वहीं चीन और दूसरे संक्रमित मुल्कों से आने वाले लोगों को 14 दिनों तक अपने घर में क्वारंटाइन में रखा गया। स्कूल किए बंद, शारीरिक दूरी का रखा ख्याल स्कूलों को बंद करने और बड़े आयोजन रद्द करने के साथ ही शारीरिक दूरी को प्रोत्साहित किया गया। यही कुछ अहम वजह रहीं कि 31 मार्च तक 75 लाख की आबादी वाले हांगकांग में संक्रमितों की संख्या सिर्फ 715 थी जबकि इस जानलेवा वायरस से सिर्फ चार लोगों की मौत हुई थी। 94 ऐसे मरीज भी सामने आए, जो संक्रमित तो थे, लेकिन उनमें किसी भी तरह के लक्षण नहीं दिखाई दे रहे थे। वर्तमान की बात करें तो संक्रमितों की संख्या 1,022 हो गई है, लेकिन मरने वालों का आंकड़ा सिर्फ चार ही है। कोरोना से बदली लोगों की आदतें शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि जनवरी से मार्च तक किए गए कई टेलीफोनिक सर्वेक्षणों से इस बात का पता चला है कि कोविड-19 ने लोगों के व्यवहार और उनकी आदतों को बदल दिया है। मार्च में किए गए एक सर्वेक्षण से इस बात का पता चलता है कि 85 फीसद लोग जहां भीड़ भरी जगहों पर जाने से बचना चाहते हैं वहीं 99 फीसद लोगों ने कहा कि घर से बाहर निकलने के दौरान उन्होंने फेस मास्क पहनने को प्राथमिकता दी। जनवरी में यह संख्या क्रमशः 75 फीसद और 61 फीसद थी।
हांगकांग ने लॉकडाउन किए बिना कोरोना पर लगाम लगाने में ऐसे पाई सफलता
